बदनसीब बचपन ना करना किसी का विधाता ! कठिन है डगर सुनो, मंजिल ना दिखाता ! बदनसीब बचपन ना करना किसी का विधाता ! कठिन है डगर सुनो, मंजिल ना दिखाता !
कितनी बदनसीब है जवानी आज, अंजान वर्तमान समय की कीमत से! कितनी बदनसीब है जवानी आज, अंजान वर्तमान समय की कीमत से!
जिसके आँगन में खिला, उसकी मैं एक भूल हूँ। वो कहते हैं कि मैं एक बदनसीब फूल हूँ। जिसके आँगन में खिला, उसकी मैं एक भूल हूँ। वो कहते हैं कि मैं एक बदनसीब फूल हूँ।
मैं वो इन्सान हूँ जिस पर विश्वाश किया जा सकता है ,सरकार नहीं जो बादल जाऊंगा मैं वो इन्सान हूँ जिस पर विश्वाश किया जा सकता है ,सरकार नहीं जो बादल जाऊंगा
कुछ कैद थे, कुछ गुमनाम से लगते अलग-अलग पर थे कुछ हम नाम से कुछ कैद थे, कुछ गुमनाम से लगते अलग-अलग पर थे कुछ हम नाम से
इससे अच्छा है फकीर होना। इससे अच्छा है फकीर होना।